कोलकाता :- मशहूर, कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चटर्जी को जयंती के मौके पर याद कर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा है कि चटर्जी के योगदान के प्रति राष्ट्र हमेशा कृतज्ञ रहेगा।
राज्यपाल धनखड़ ने शनिवार को एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि “आज मशहूर उपन्यासकार कवि और पत्रकार बंकिम चटर्जी को उनकी जयंती के मौके पर याद कर रहा हूं। वंदे मातरम की रचना और भारत को मातृ देवी के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए राष्ट्र हमेशा उनका आभारी रहेगा। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका भी प्रेरणादाई रही है।”
उल्लेखनीय है कि 27 जून 1838 को जन्में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गए थे। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे। 1857 में उन्होंने बीए पास किया और 1869 में क़ानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी कर ली और 1891 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए। उनका निधन 08 अप्रैल 1894 में हुआ। प्रेसीडेंसी कॉलेज से बी.ए. की उपाधि लेनेवाले ये पहले भारतीय थे। शिक्षासमाप्ति के तुरंत बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट पद पर इनकी नियुक्ति हो गई। कुछ काल तक बंगाल सरकार के सचिव पद पर भी रहे। रायबहादुर और सी.आई.ई. की उपाधियाँ पाईं। उनकी पहली प्रकाशित बांग्ला कृति ‘दुर्गेशनंदिनी’ मार्च 1865 में छपी थी। यह एक रूमानी रचना है।
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